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लॉजिक नहीं, सिर्फ मैजिक ही नज़र आया गोलमाल अगेन में ( स्टार 3.5/5 )

      रोहित शेट्टी फिर एक बार गोलमाल अगेन लेकर आ रहे हैं इस बार हॉरर  के रूप में पर यह डरा नहीं हँसा रही हैं | इस बार फिल्म में परिणीति चोपड़ा और तब्बू भी इस गैंग में शामिल हो गए हैं | 
फिल्म        : गोलमाल अगेन
श्रेणी          :   हॉरर कॉमेडी
निर्देशक      : रोहित शेट्टी
निर्माता       : रोहित शेट्टी और संगीता अहीर
स्टार          : 3.5/5
कास्ट         : अजय देवगन, अरशद वारसी, तुषार कपूर, श्रेयस तलपड़े, कुणाल खेमू, परिणीति चोपड़ा, तब्बू, संजय मिश्रा, जॉनी लीवर, प्रकाश राज, अश्वनी कालसेकर, मुरली शर्मा, मुकेश तिवारी और वृजेश हिरजी
संगीत       : अमाल मलिक, एस. थमन और डीजे
     कहानी की बात करते हैं  गोपाल (अजय देवगन), माधव (अरशद वारसी), लकी (तुषार कपूर), लक्ष्मण (श्रेयस तलपड़े) और लक्ष्मण (कुणाल खेमू) की, जो ऊटी के जमनादास अनाथालय में पल-बढ़ रहे हैं, पर एक दिन यह पाँचो आश्रम छोड़ के भाग जाते हैं , करीब २५ साल के बाद एक बार फिर पाँचो  आश्रम में आते है वजह जमनादास जी की तेरहवीं पर, जहां इन्हे पता चलता है की जमनादास जी की मृत्यु के पीछे एक बड़ा षड़यंत्र हैं यहाँ तक पड़ोस में रहने वाले कर्नल की बेटी की भी रहस्यमय मौत हो चुकी हैं इन सब के पीछे किसका हाथ हैं, कौन हैं और वह क्या चाहता हैं और हा यह भूत ? इन सब सवालों के जवाब के लिए आपको फिल्म देखनी होंगी | 
   निर्देशन की बात करते हैं  रोहित शेट्टी ने बेहतरीन निर्देशन किया, सेट देख कर ही लगता हैं कियाः रोहित शेट्टी की फिल्म हैं, इंटरवल के पहले इंट्रोडस करने में काफी समय ले लिया, पर इंटरवल के बाद फिल्म बांध के रखने में सक्षम होती हैं है फिल्म की लम्बाई थोड़ी काम की होती तो शायद फिल्म देखने का आनंद अगेन एन्ड अगेन होता | 
    अभिनय की बात करते हैं इस फिल्म में कॉमिक टाइमिंग की आवश्यकता हैं जिसे सभी कलाकार गोपाल ( अजय देवगण ), माधव ( अरशद वारसी), लकी (तुषार कपूर) लक्ष्मण (श्रेयस तलपड़े) एन्ड  (कुणाल खेमू) बखूबी निभाया हैं तब्बू और परिणीति चोपड़ा की एंट्री भी कमाल की हैं , प्रकाश राज, नील नितिन मुकेश और जॉनी लीवर को कैसे भुला सकते हैं | 
     संगीत की बात करते हैं  संगीत ठीक ठाक ही हैं शुरुवात ही टाइटल ट्रक से होती हैं पर गीत फिल्म की रफ़्तार को काम करते नज़र आये | फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर भी अच्छा है।
देखें या नहीं
 
 'लॉजिक नहीं, सिर्फ मैजिक'। फिल्म की टैग लाइन ही वाकय बिलकुल सटीक हैं दिमांग का प्रयोग फिल्म देखते वक़्त बिलकुल न करे | 
 
पुष्कर ओझा